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प्रदेश में बरसे बादल, वैज्ञानिकों ने बताया प्री-मानसून, बारिश के लिए अभी करना होगा और इंतजार

- भोपाल में राहत की बौछारें, मौसम वैज्ञानिकों ने बताया प्री-मानसून - राजस्थान-मप्र-छग में बारिश की संभावना

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प्रदेश में बरसे बादल, वैज्ञानिकों ने बताया प्री-मानसून, बारिश के लिए अभी करना होगा और इंतजार

भोपाल . एमपी ( MP ) में मानसून ( mansoon ) की रफ्तार धीमी पड़ गई है। इंदौर, मंडला और होशंगाबाद क्षेत्र में ही मानसून सक्रिय है। मौसम विभाग ( weather department ) ने बुधवार की बारिश को प्री-मानसून ( Pre monsoon ) बताया। मौसम विभाग का कहना है कि अब आने वाले 5 दिनों में बारिश के आसार है।

बुधवार को राजधानी भोपाल समेत कुछ जिलों में तेज बौछारें पड़ीं। आने वाले तीन-चार दिन एमपी में हल्की और मध्यम बारिश की गतिविधियां जारी रहेंगी। मौसम विज्ञानी एके शुक्ला ने बताया कि मानसून कमजोर हो गया है। आगे बढऩे के लिए उसे गति नहीं मिल रही है।

राजस्थान-मप्र-छग में बारिश की संभावना

मौसम विभाग ने मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान विदर्भ और छत्तीसगढ़ सहित कई स्थानों पर गरज-चमक के साथ बारिश होने की संभावना जताई है। इसके अलावा बिहार, ओडिशा और झारखंड में भी हल्की बारिश होने की बात कही है।

30 जून के आसपास बंगाल की खाड़ी और पड़ोस में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। इसके बाद 1 से 3 जुलाई के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढऩे की परिस्थियां अनुकूल होंगी। अब तक प्रदेश के 12 जिलों में ही सामान्य या इससे अधिक बारिश हुई है।

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सामान्य रहेगा मानसून

मानसून की देरी से परेशान लोगों के लिए राहत भरी खबर है। ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो ने अपने अलनीनो अलर्ट को वापस ले लिया है। ब्यूरो की ओर से कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में अलनीनो के विकसित होने की तत्काल संभावना नहीं दिखाई दे रही है, इसके साथ ही दक्षिण-पश्चिमी मानसून पर इसके प्रभाव का अंदेशा भी खत्म हो गया है। भारतीय मौसम विभाग ने जून से सितंबर के बीच 96 प्रतिशत वर्षा का पूर्वानुमान जताया था।

जून से सितंबर के बीच 96 प्रतिशत बारिश का अनुमान

मानसून की देरी से परेशान लोगों के लिए राहत भरी खबर है। ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो ने अपने अलनीनो अलर्ट को वापस ले लिया है। ब्यूरो की ओर से कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में अलनीनो के विकसित होने की तत्काल संभावना नहीं दिखाई दे रही है, इसके साथ ही दक्षिण-पश्चिमी मानसून पर इसके प्रभाव का अंदेशा भी खत्म हो गया है। भारतीय मौसम विभाग ने जून से सितंबर के बीच 96 प्रतिशत वर्षा का पूर्वानुमान जताया था।

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आइओडी ने भी जगाई उम्मीद

गौरतलब है कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश, जहां की लगभग सत्तर प्रतिशत जनता ग्रामीण इलाकों में रहती है और देश का आधा कृषि क्षेत्र पूरी तरह से पानी के लिए वर्षा पर निर्भर करता है, के लिए ये खबर काफी सुकूनभरी है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार हिंद महासागर डिपोल (आइओडी) भी पाया गया है, जो कि मानसूनी वर्षा के लिए अच्छा बताया जाता है। ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो ने भी कुछ ऐसी ही उम्मीद जताई है।